
गुप्तवृषणता और बांझपन: एक गहरा संबंध
अंडकोष का नीचे न उतरना, जिसे चिकित्सकीय भाषा में गुप्तवृषणता (Cryptorchidism) कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जो पुरुषों में बांझपन के जोखिम को काफी बढ़ा देती है। हालांकि यह ज़रूरी नहीं है कि हर उस व्यक्ति को बांझपन का सामना करना पड़े जिसका बचपन में इस स्थिति का इलाज हुआ हो, लेकिन यह संबंध वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है, खासकर उन मामलों में जहां दोनों अंडकोष प्रभावित होते हैं। इस स्थिति और बांझपन के बीच का सीधा संबंध तापमान से जुड़ा है। अंडकोष को स्वस्थ और कार्यात्मक शुक्राणुओं का उत्पादन करने के लिए शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में 2-3 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता होती है। जब वे पेट या कमर जैसे गर्म वातावरण में रह जाते हैं, तो यह उच्च तापमान शुक्राणु-उत्पादन करने वाली कोशिकाओं (स्पर्मेटोगोनिया) के विकास को गंभीर रूप से बाधित करता है, जिससे उनकी संख्या और गुणवत्ता दोनों में गिरावट आती है।
शुक्राणु उत्पादन पर प्रभाव
शुक्राणु का उत्पादन एक जटिल प्रक्रिया है जिसे शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) कहते हैं। यह प्रक्रिया अंडकोष के अंदर ही संपन्न होती है। अंडकोष के पेट में रह जाने से शुक्राणुजनन की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। जन्म के बाद अंडकोष का सही स्थान पर न होना, शुक्राणु बनाने वाली कोशिकाओं को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो नुकसान अपरिवर्तनीय हो सकता है, जिससे वयस्कता में शुक्राणुओं की संख्या में भारी कमी आ सकती है या वे पूरी तरह से अनुपस्थित (असूक्ष्मता) हो सकते हैं।
उपचार और भविष्य की प्रजनन क्षमता
सौभाग्य से, गुप्तवृषणता का इलाज संभव है। इस स्थिति का मानक उपचार ऑर्किओपेक्सी (Orchiopexy) नामक एक शल्य चिकित्सा है। इस सर्जरी में अंडकोष को पेट से निकालकर अंडकोश की थैली में सही जगह पर स्थापित किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सर्जरी जितनी जल्दी हो सके, आदर्श रूप से 6 से 18 महीने की उम्र के बीच, करवा लेनी चाहिए। जल्द इलाज कराने से अंडकोष को होने वाले स्थायी नुकसान को कम किया जा सकता है और भविष्य की प्रजनन क्षमता की संभावनाओं में सुधार होता है।
एकतरफा गुप्तवृषणता (unilateral cryptorchidism), जिसमें केवल एक अंडकोष प्रभावित होता है, वाले पुरुषों में प्रजनन दर अक्सर सामान्य आबादी के समान ही होती है, क्योंकि दूसरा अंडकोष पर्याप्त शुक्राणु उत्पादन कर सकता है। हालांकि, द्विपक्षीय गुप्तवृषणता (bilateral cryptorchidism), जिसमें दोनों अंडकोष प्रभावित होते हैं, वाले पुरुषों में बांझपन का जोखिम बहुत अधिक होता है। ऐसे मामलों में, शुक्राणु की अनुपस्थिति (azoospermia) की संभावना बढ़ जाती है।
जोखिम को समझना
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऑर्किओपेक्सी सर्जरी भविष्य में प्रजनन क्षमता की गारंटी नहीं देती। कुछ मामलों में, अंडकोष की संरचना में जन्मजात दोष भी हो सकता है जो तापमान के अलावा शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करता है। फिर भी, शुरुआती और सफल इलाज के बिना, भविष्य में प्रजनन क्षमता की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसलिए, बच्चों में इस स्थिति का जल्द पता लगाना और उचित चिकित्सा परामर्श लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ प्रजनन स्वास्थ्य का मामला नहीं है, बल्कि इससे अंडकोष के कैंसर जैसे अन्य जोखिमों को भी कम करने में मदद मिलती है।