
बांझपन (infertility) एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर लोग खुलकर बात करने से कतराते हैं, जबकि यह एक बहुत ही आम स्वास्थ्य समस्या है। अक्सर, जोड़े खुद को अकेला महसूस करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे इस संघर्ष में अकेले नहीं हैं।
बांझपन कितना आम है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व स्तर पर 8 से 10 प्रतिशत जोड़े बांझपन से प्रभावित हैं।
इसे और आसान बनाने के लिए:
· हर 6 में से लगभग 1 जोड़ा अपने जीवनकाल में किसी न किसी बिंदु पर बांझपन का अनुभव करता है।
· दुनिया भर में, प्रजनन आयु (reproductive age) की लाखों महिलाएं (15-49 वर्ष) बांझपन की समस्या का सामना कर रही हैं।
यह आँकड़ा स्पष्ट करता है कि बांझपन एक व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।
बांझपन के प्रकार और उनकी व्यापकता
बांझपन को आम तौर पर दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है:
1. प्राथमिक बांझपन (Primary Infertility): यह तब होता है जब एक महिला ने कभी गर्भधारण नहीं किया होता है।
2. द्वितीयक बांझपन (Secondary Infertility): यह तब होता है जब एक महिला पहले कम से कम एक बार गर्भधारण कर चुकी हो, लेकिन अब वह दोबारा गर्भधारण करने में असमर्थ है।
दोनों ही प्रकार के मामले समान रूप से आम हैं और दोनों के लिए ही चिकित्सा सहायता उपलब्ध है।
बांझपन के पीछे कौन?
एक आम मिथक यह है कि बांझपन हमेशा महिला की समस्या होती है, जबकि यह सत्य नहीं है।
· लगभग एक तिहाई मामलों में, बांझपन का कारण पुरुषों से संबंधित होता है।
· लगभग एक तिहाई मामलों में, यह महिलाओं से संबंधित होता है।
· शेष मामलों में, या तो यह दोनों का संयुक्त कारण होता है, या फिर इसका कोई अज्ञात कारण होता है।
इस कारण, जब कोई जोड़ा गर्भधारण करने में कठिनाई महसूस करता है, तो दोनों भागीदारों की जाँच कराना आवश्यक होता है।