
बांझपन: यह केवल महिलाओं की समस्या नहीं है
बांझपन की समस्या किसी एक लिंग तक सीमित नहीं है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है, और कई मामलों में यह दोनों पार्टनर्स के संयुक्त कारणों से भी हो सकती है।
बांझपन के आंकड़े (The Reality of Infertility)
प्रजनन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बांझपन के कारण को मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
- पुरुष कारक (Male Factor): लगभग 30-40% मामलों में बांझपन का कारण केवल पुरुष साथी में पाया जाता है।
- महिला कारक (Female Factor): लगभग 30-40% मामलों में बांझपन का कारण केवल महिला साथी में पाया जाता है।
- संयुक्त या अस्पष्ट कारक (Combined or Unexplained): शेष 10-30% मामलों में, या तो कारण पुरुष और महिला दोनों में होते हैं, या फिर कारण स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाता है (Unexplained Infertility)।
इससे स्पष्ट होता है कि बांझपन की जांच और उपचार के दौरान दोनों पार्टनर्स की भागीदारी आवश्यक है।
पुरुषों में बांझपन के सामान्य कारण (Male Infertility Factors)
पुरुषों में बांझपन के मुख्य कारण अक्सर शुक्राणु (Sperm) से संबंधित होते हैं:
- शुक्राणु की कम संख्या (Low Sperm Count): वीर्य में शुक्राणुओं की अपर्याप्त मात्रा।
- शुक्राणु की खराब गतिशीलता (Poor Sperm Motility): शुक्राणुओं का ठीक से तैरने या अंडे तक पहुँचने में सक्षम न होना।
- शुक्राणु की असामान्य संरचना (Abnormal Sperm Morphology): शुक्राणुओं का आकार या बनावट असामान्य होना।
- अन्य कारण: वैरीकोसेल (Varicocele), हार्मोनल असंतुलन, या अंडकोष में संक्रमण।
महिलाओं में बांझपन के सामान्य कारण (Female Infertility Factors)
महिलाओं में बांझपन के कारणों में शामिल हैं:
- ओव्यूलेशन संबंधी समस्याएं (Ovulation Disorders): जैसे कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), जिसमें अंडाशय नियमित रूप से अंडा जारी नहीं करते हैं।
- फैलोपियन ट्यूब में रुकावट (Blocked Fallopian Tubes): संक्रमण या एंडोमेट्रियोसिस के कारण ट्यूबों में रुकावट आ जाना, जिससे अंडा और शुक्राणु मिल नहीं पाते।
- गर्भाशय की समस्याएं (Uterine Issues): फाइब्रॉएड (Fibroids) या गर्भाशय के आकार में असामान्यता।
- हार्मोनल असंतुलन: थायरॉइड या प्रोलैक्टिन के स्तर में गड़बड़ी।
- उम्र: महिला की बढ़ती उम्र के साथ अंडों की गुणवत्ता और संख्या में कमी आना।
बांझपन की जांच कब शुरू करनी चाहिए?
यदि कोई कपल एक साल तक नियमित, असुरक्षित यौन संबंध के बावजूद गर्भधारण नहीं कर पाता है,
तो उन्हें जांच शुरू कर देनी चाहिए। यदि महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक है, तो यह अवधि छह महीने मानी जाती है।
क्या एआरटी से एचआईवी पूरी तरह ठीक हो जाता है?
नहीं। एआरटी एचआईवी को शरीर से खत्म नहीं करती है। यह केवल वायरस को गुणा होने से रोकती है और उसे दबाकर रखती है। यदि उपचार बंद कर दिया जाता है, तो वायरस का स्तर फिर से बढ़ जाता है। इसलिए, एचआईवी एक दीर्घकालिक, प्रबंधनीय स्थिति बनी रहती है जिसके लिए जीवन भर उपचार की आवश्यकता होती है।
एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को एआरटी कब शुरू करनी चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, एचआईवी संक्रमण का पता चलते ही, जल्द से जल्द एआरटी शुरू कर देनी चाहिए, चाहे CD4 काउंट कुछ भी हो।
शीघ्र उपचार व्यक्ति के स्वास्थ्य और संचरण की रोकथाम दोनों के लिए सबसे अच्छा है।
एआरटी दवाएँ न लेने पर क्या होता है?
यदि एआरटी दवाएँ अनियमित रूप से ली जाती हैं या छोड़ दी जाती हैं, तो:
- एचआईवी वायरस शरीर में तेजी से गुणा करना शुरू कर देता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है, और एड्स (AIDS) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
- वायरस में दवाओं के प्रति प्रतिरोध (Resistance) विकसित होने की संभावना होती है, जिससे वर्तमान उपचार अप्रभावी हो सकता है।
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