
उच्च ट्यूमर मार्कर का मतलब यह हो सकता है कि शरीर में कैंसर मौजूद है या कैंसर का इलाज कितना प्रभावी है, लेकिन यह हमेशा कैंसर की पुष्टि नहीं करता। ट्यूमर मार्कर ऐसे पदार्थ होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं द्वारा या कैंसर की प्रतिक्रिया में शरीर द्वारा बनाए जाते हैं। ये रक्त, मूत्र, या शरीर के ऊतकों में पाए जा सकते हैं।
ट्यूमर मार्कर क्या हैं?
ट्यूमर मार्कर वे जैविक पदार्थ (biomarkers) होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं द्वारा स्वयं उत्पन्न होते हैं या कैंसर की उपस्थिति के जवाब में शरीर की सामान्य कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं। ये प्रोटीन, एंजाइम, हार्मोन या अन्य अणु हो सकते हैं। इन मार्करों का स्तर स्वस्थ व्यक्तियों में कम होता है, लेकिन कैंसर होने पर ये बढ़ सकते हैं।
उच्च ट्यूमर मार्कर का क्या अर्थ है?
उच्च ट्यूमर मार्कर स्तर कई बातें सुझा सकते हैं:
- कैंसर की संभावित उपस्थिति: यदि किसी व्यक्ति में कैंसर का संदेह है और उसके ट्यूमर मार्कर का स्तर बहुत अधिक आता है, तो यह कैंसर की उपस्थिति का एक मजबूत संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिए, PSA (प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन) का उच्च स्तर प्रोस्टेट कैंसर का सुझाव दे सकता है, और CA-125 का उच्च स्तर अंडाशय के कैंसर का संकेत हो सकता है।
- कैंसर के इलाज की प्रभावशीलता: कैंसर के इलाज के दौरान ट्यूमर मार्कर के स्तरों की निगरानी की जाती है। यदि इलाज सफल हो रहा है, तो ट्यूमर मार्कर का स्तर घट जाएगा। यदि स्तर बढ़ रहा है, तो यह संकेत दे सकता है कि कैंसर बढ़ रहा है या इलाज प्रभावी नहीं है।
- कैंसर की पुनरावृत्ति (Recurrence): कैंसर के इलाज के बाद, डॉक्टर नियमित रूप से ट्यूमर मार्कर के स्तर की जांच कर सकते हैं। यदि ये स्तर फिर से बढ़ने लगते हैं, तो यह संकेत दे सकता है कि कैंसर वापस आ गया है।
- कैंसर का चरण या फैलाव: कुछ मामलों में, ट्यूमर मार्कर का उच्च स्तर कैंसर के अधिक उन्नत चरण या उसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने (मेटास्टेसिस) का संकेत दे सकता है।
उच्च ट्यूमर मार्कर का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता
यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि उच्च ट्यूमर मार्कर का मतलब हमेशा कैंसर नहीं होता है। कई गैर-कैंसरयुक्त स्थितियाँ भी ट्यूमर मार्कर के स्तर को बढ़ा सकती हैं। उदाहरण के लिए:
- सूजन (Inflammation): शरीर में कहीं भी सूजन ट्यूमर मार्कर के स्तर को बढ़ा सकती है।
- संक्रमण (Infections): कुछ संक्रमण भी ट्यूमर मार्कर के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।
- सौम्य ट्यूमर (Benign Tumors): गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर भी कुछ मार्करों को बढ़ा सकते हैं।
- अन्य चिकित्सीय स्थितियाँ: यकृत रोग, गुर्दे की बीमारी, या कुछ हार्मोनल असंतुलन भी ट्यूमर मार्कर को बढ़ा सकते हैं।
- धूम्रपान या शराब का सेवन: जीवनशैली से जुड़ी आदतें भी कुछ मार्करों को प्रभावित कर सकती हैं।
इसलिए, उच्च ट्यूमर मार्कर के परिणाम को हमेशा अन्य नैदानिक परीक्षणों, जैसे बायोप्सी, इमेजिंग स्कैन (एमआरआई, सीटी स्कैन, पीईटी स्कैन), और शारीरिक परीक्षण के साथ मिलाकर देखा जाना चाहिए। केवल ट्यूमर मार्कर के आधार पर कैंसर का निदान नहीं किया जा सकता है।
निष्कर्
उच्च ट्यूमर मार्कर कैंसर का एक संभावित संकेत या उसके इलाज की प्रभावशीलता का एक माप हो सकता है। यह डॉक्टरों को कैंसर की पहचान करने, उसके इलाज की निगरानी करने और पुनरावृत्ति का पता लगाने में मदद करता है। हालांकि, इसकी व्याख्या हमेशा एक चिकित्सा पेशेवर द्वारा की जानी चाहिए, क्योंकि कई गैर-कैंसरयुक्त स्थितियां भी इनके स्तर को बढ़ा सकती हैं।